Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 14
________________ ॥ धोला ने माता घणा, वली बोटीसींघमीआ जाण रे लाल ॥ दीसे घणुं ए सोहामणा, एहवा वृषन तुं आण रे लाल ॥ नेम॥४॥हा॥ सरिखाने चांदी नहीं, जोवा सरख। बलदनी जोम रे लाल ॥ चाले चाल उतावली, जेहने शिंगे पुढे नहीं खोमरे लाल ॥ नेम ॥५॥हांग ॥ बलदनेजूलां शोजती, वली सोनानी नाथ रसाल रे लाल॥सोनानी नली शिंगमी, वली गले ते घूघरमाल रे लाल॥नेम ॥६॥हा॥ खेंचित सोनानी रासमी, वली सोना पहालां जोत्र रे लाल ॥ माथे ते घाल्यो सेदरो, तुंएणी परे कर उद्योत रेलाल ॥नेम०॥७॥हा॥वली ते रथ शणगारीयो, ते सूत्रे ने विस्तार रे लाल ॥ बलद जुगतशुं जोतरी, लाव्यो उवाणशाला मकार रे लाल ॥ नेम ॥७॥ हांग॥ न्हा धोश्मजान करी, वली पहेस्या नव नवा वेशरे लाल माणिक मोती मुडिका,वली घरेणां हार विशेष रे लाल ॥ नेमण ॥ ए॥ हांग ॥ श्राडंबर करी श्रति घणो, आवी बेग रथ मांय रे लाल ॥ आगल बांधी शीकरी, रथ बेठी दृढ थाय रे लाल ॥ नेमण ॥ १०॥ हां ॥ साथे ते लीधी सादेलीयां, वली चाल्या ते मध्य बजार रे लाल ॥चतुर ते बेगे सांघमी, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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