Book Title: Devki Shatputra Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ नाटकनां टोला, छितणो नहीं पार रे माइ॥पुण्य ॥३॥बत्रीश मुगुट मुगुट परवारु, हेम कुंमल ने हार रे माश् ॥ एकावली मुक्तावली जाणो, कनक रयण वली सार रे मार ॥ पुण्य० ॥४॥बत्रीश हार मोती तणा, बत्रीश रतन तणा जाण रे मा॥ तीसरा चौसरा हार अने वली, एम कमग ने तुमीय जाण रे मा॥ पुण्य०॥५॥बत्रीश सोनाना ढोलीया, बत्रीश रूपाना जाण रे मा ॥ बत्रीश सिंहासन सोनानां, श्महीज कलश वखाण रे माश् ॥ पुण्य० ॥६॥ बत्रीश सोनानी कथरोटी,बत्रीश रूपानी जाण रेमा ॥ बत्रीशे वली तवा सोनाना, तिमहीज थाल वखाण रे मा ॥ पुण्य ॥७॥ हय गय रथ दास ने दासी, बत्रीश गोकुल जाण रे मा॥बत्रीश सोना रूपाना दीवा, वली पारीसा वखाण रेमा॥ पुण्य ॥७॥ बत्रीश पीठ सोना रूपानां, श्महीज घरेणां अमूल्य रे मा ।। पगे पमतां सासुए दीधां, एकसो बाणुं बोल रे मा॥पुण्या एम बए बंधवनी मली नारी, एकसो बाणुं जाण रेमाश्॥एकसो बाणुंने कति अपाणी, आगम वचन प्रमाण रे माश्॥ पुण्य०॥१०॥ एणी परे अमे सुख जोगवता, निर्गमता दिन रात रे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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