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आतममा प्रभु पास ले बाहिर मूर्खा शोधे, अंतरमा प्रभु ध्यानथी ज्ञानी भक्तो बोधे. द्रव्यभावथी वंदीए ए ध्याश्जे प्रभु पास, एकवार पाम्या पनी टळे नहीं विश्वास.
सुपार्श्वनाथ स्तुति. शुद्ध प्रेम ने ज्ञानथी, सुपार्श्वने ध्यावो, जडमां सुख क्यारे नहीं, एवो निश्चय लावो; प्रभु पासे नहीं आंतलं, एवं जेने जासे, जैन मटी जिन ते वनी, पूर्णानंदे विलासे.
चंद्रप्रभु चैत्यवंदन. अनंत चंद्रनी ज्योतिथी, अनंत ज्ञाननी ज्योत, चंद्र प्रभु प्रणमुं स्तवं, करता जग उद्योत. असंख्य चंद्रो नानुओ, इन्द्रो जेने ध्याय, परब्रह्म चंद्र प्रजु, जगमां सत्य सुहाय. शुभ प्रेमथी वंदतां ए असंख्य चंद्रनो नाथ, बुद्धिसागर आतमा, टाळे पुद्गल साथ,
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