Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१३६) सिद्धसमा थइरे, शान्तिरूप सुहावे; स्थिरउपयोगथीरे, बुद्धिसागर पावे.
शान्ति. २.
१७ कुंथुनाथस्तवन. (सांनळजो मुनि-ए राग.) कुंथुजिनेश्वर जगजयकारी, चोत्रीस अतिशय धारीरे; पांत्रीस वाणी गुणथी शोभे, समवसरण सुखकारीरे. कुंथु० १ वस्तुधर्म स्याद्वाद प्ररुपे, केवलज्ञानथी जाणारे, धर्म ग्रही पाळी शिव लेवे, जगमांहि बहु प्राणीरे. कुंथु०२ सप्तनंगी ने सातनयोथी, षद्रव्योने जणावेरे; उपादेय चेतनना धर्मों, बोधी शिव परवावेरे. कुंथु० ३
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178