Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 175
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १५० ) तारो तारो प्रभु मुज तारो हो राज; तुज श्रद्धा दिल लाव्यो. सात्विक परानक्ति प्रगटो, मन मंदिरमां पधारो : तुज वण बीजुं जगमां न इच्तुं, भावे मुजने सुधारो हो राज. जेवो तेवो पण हुं हुं तारो, मुजने पार उतारो; प्राणांते पण पकड्या न छोडं, धर्या वण नही आरो हो राज. मागण पेठे हूं नहीं मागं, तुं छे प्राणथी प्यारो; तुज स्वरूप यै रहे ए निश्चय, विनती अवधारो हो राज. माह्यरुं त्हारुं रूप न जू दुं, हवे न जाउ हुं हार्यो; आतम ते परमातम नक्की, निश्चय एवो धार्यो हो राज. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तारे प्रभु, १ For Private And Personal Use Only ता. प्रभु. २ ता. प्रभु. ३ ता. प्रभुः ४

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