Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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(१४९) गाम डनोइ यशोविजय गुरु, चरणनी यात्रा कीधी; उपाध्यायनी देरीमा रचना, पूर्ण चोवीशीनो सिद्धिरे.
ए जि. ७ उपाध्याय गुरु-चरण पसाये, जक्ति-रंग उर धारी; नावपूजा जिनवरनी करतां, जयजय मंगलकारोरे. ए जि. ८ संवत ओगणिशपांसठसाले, फाल्गुनपूर्णिमा सारी; रविवार दिन चढते पहोरे, पूर्ण रची जयकारीरे. ए जि. ९ लोढणपार्श्वजिनेश्वर प्रेमे, जे नणशे नरनारी; बुद्धिसागर पग पग मंगल, पामे संघ निर्धारीरे.
ए जि. १० महावीर प्रभुस्तवन.. प्रभु महावीर जिनवर देब हो राम ! ताहरे शरणे आव्यो,
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