Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३५ ) १६ शान्तिनाथस्तवन. ( साहिब सांभळोरे संजव - ए राग . ) शान्तिनाथजीरे ! शान्ति साची आपो; उपाधि हरीरे, निज पदमां निज थापो. शान्ति. १ शान्ति केम बहुरे, तेनो मार्ग बतावो; विनति माहरीरे, स्वामी दीलमां लावो. शान्ति. २ शान्ति प्रभु कहेरे, धन्य ! तुं जगमां प्राणी; शान्ति पामवारे, मनमां उलट आणी शान्ति. ३ जम ने जडपणेरे, चेतन ज्ञानस्वभावे; भेदज्ञानना योगथीरे, समकित - श्रद्धा थावे. शान्ति. ४ सद्गुरु परंपरारे, श्रागमना आधारे; उपशमभावधीरे, शान्ति घटमां धारे. साधु संगतेरे, पामी ज्ञाननी शक्ति; समतायोगथीरे, प्रगटे शान्ति-व्यक्ति शान्ति. ६ चेतन द्रव्यनुंरे, करवुं ध्यान ज जावे; चंचलता हरेरे, साची शान्ति प्रावे. सत्य-समाधिमारे, शान्ति सिद्धि बतावे; रसिया योगियोरे, शान्ति साची पावे. शान्ति ८ शान्ति ५ शान्ति. ७ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178