Book Title: Dev Vandana Stuti Stavan Sangrah
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(११७)
६ पद्मप्रभस्तवन. (विरति ए सुमति धरी आदरो-ए राग.) पद्मप्रभु अलख निरंजन, सिद्धना याठ गुणधारीरे; साकार उपयोगे चेतना, निराकार जयकारीरे.
पद्म १ अजर अमर अगोचर विभु, नाम न रूप न जातिरे; जगगुरु जय श्रीचिंतामणि, त्रणभुवनमांहि ख्यातिरे. पद्म०२ उपमातीत परमातमा, अनुभवविण न जणायरे, दिशि देखाडी आगम रहे, अनुभवे प्रभु परखायरे. सद्गुरु-तीर्थउपासना, स्याद्वाद सूत्रनो बोधरे; परंपर गुरुगम जोडतां, करे जवो जिनवरशोधरे.
प०४
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178