Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 165
________________ Upanisads Extent – 4 leaves; 9 lines to a page; 24 letters to a line. Description - Country paper; Devanagari characters; handwriting clear, legible and uniform; complete; belongs to the Atharvaveda uttarabhāga. 152 Age Begins - Not old. - fol. 1a अथ राधातापिनी लिख्यते । स होवाच ॥ का सा राधा कीदृशं रुपं का मूर्तिः किं ध्यानं किं कीलकं किं बीजं को मंत्रः कानि वाहनानि कत्यंगानि किं पुरश्चरणं का समाधिः किमनेन साध्यते किं फलं किं बलं किं गुणो यथा मंत्रस्तत्सर्व ब्रूहीति । सा ह्युवाच । Ends – fol. 40 [907 येयं राधा यश्च कृष्णो रसाधिदेहश्चैकक्रीडार्थ द्विधाभूतदेद्दो यथा छायया शोभमानः शृण्वन् पठन् याति तद्धामसुधं वा शिष्टं च बार्हस्पत्यं चार्वाकमध्यायेति यजमानस्य बार्हस्पत्यं च ॐ नमः ॐ नमः मुधाध्यै ॥ इति अथउत्तरभागे रहस्यवर्णश्रीराधातापिनी समाप्ता ॥ श्री ॥ References :- Cat. Cat. iii, 1076. राधिकातापनी No. 907 Size - 11 in. by 5g in. Extent -- 16 to 3b leaves 11 lines to a page 28 - 30 letters to a line. Description Country paper; Devanagari characters; handwriting bold, clear and legible; borders ruled in double red lines; yellow pigment used for corrections; complete. The Ms. contains another work viz. - Purusabodhinl. Age Does not appear to be very old. Begins - fol. 16 Rādhikātāpani 38(1) 1891-95 श्रीकृष्ण चैतन्यचंद्रजयतिः ॥ स होवाच ॥ का सा राधा कीदृशं रूपं का मूर्तिः ॥ किं ध्यानं किं कीलकं किं बीजं को मंत्रः etc.

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