Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 204
________________ 966] Upanigads 191 Ends-fol. 210 श्रियेवैनंतश्रियामादधाति संतस्मृत्वा वषट्कृत्यं संतत्यै संधियते प्रजया पशुभिर्य एवं देव ॐ ही श्रीं क्लीं ब्लं फ्रो हुं फट् स्वाहा ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्य करवावहै तेजस्वि नावाधितमस्तु मा विद्विषावहै कल्पयावहै ॐ शांतिः शांतिः शांतिः हरिः ॐम्। इति श्री अथर्वणरहस्ये वनदुगोपनीशत् समाप्तः श्रीरस्तु कल्याणमस्तु श्रीरस्तु शुभं भवतु वरदपूर्वतापनीयोपनिषद् Varadapūrvatāpaniyopanişad 1st part 1st part 233 (49) No. 965 1882-83 Size -10d in. by 4g in. Extent-687a to694b leaves3; 10 lines to a page; 35 letters to a line. Description-See No. 233 (1)/1882-833; Mundakopanisad. Begins — fol. 687a ॥ वरदोपनिषत्पूर्वतापनीयं त्रिखंडिका एकपंचाशत्तमी सा विज्ञेया ग्रंथसंग्रहे ॥१॥ पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंदरूपमेव । तस्य त्रयो गुणावतराः । etc. Ends - fol. 6940 अथर्वश्चतुर्थपादः अथर्वशब्दोकारंतोप्यस्ति द्विरुक्तिनिश्चयार्था । इतिशब्दः समाप्त्यर्थः॥ इति प्रथमोपनिषद्दीपिका ॥ - - - वरदपूर्वतापनीयोपनिषद् Varadapūrvatāpanīyopanişad 2nd part 2 nd part No. 966 233 (50) 1882-83 Size — 10% in. by 41 in. Extent -6940 to 697b leaves; 10 lines to a page; 35 letters to a liner .

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