Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 207
________________ 194 Upanisads 1970 Ends -- fol. 571a ___ सुवर्णज्योतिरिति पाठेन शब्द इवार्थे सुवः सूर्य इव ज्योतिः स्वप्रकाशोस्मि सकृतिभातमस्मदीयं ज्योतिरित्यर्थः । य एवं वेद तस्यैवं यथोक्तं फलमिति शेषः । इति वल्लीद्वयविहितमुपनिषद्रहस्यज्ञानं ।। श्री॥ नारायणेन रचिता शंकरोत्त्युपजीविना। भस्पष्टपदवाक्यानां वल्लीत्रितयदीपिका ॥ छ ॥ १८५॥ श्रीरस्तु । बल्लीत्रितयदीपिका Vallitritayadipikā (शिक्षावल्ली, भृगुवल्ली, (Śikṣāvalli, Bhrguvallī, ब्रह्मवल्ली) Brahmavalli) 14(9) No. 970 A1883-84 Size - 104 in. by 58 in. Extent-144a to 157a leaves; 16-17 lines to a page; 30-32 letters to a line. Description - See No. 14 (1) 1 A 1883-84 : Rāmapūrvatāpaniyo _panisad. Author --Narayapa. Begins - fol. 144a शिक्षावल्ली ब्रह्मवल्ली भृगुवल्लीति विश्रुत नित्तियुक्तं श्रुतिशिरोनुवाकादशकवयं अध्ययनविधि दर्शयिष्यन् विद्योपसर्गनिवृत्तये प्रथम शांतिपाठमा शव इति etc. fol. 144b इति शिक्षाध्याय उक्तः fol. 155a भानंदवल्ली समाप्ताः ।। Ends - fol. 157a सुवर्णज्योतिरिति पाठेन शब्द बाथै सुवः सूर्य इव ज्योतिः स्वप्रकाशोस्मि सकृद्विभातमस्मदाय ज्योतिरित्यर्थः य एवं वेद तस्यैवं यथोक्तफलमिति शेषः इति वल्लीद्वयविहितमुपनिषद्रहस्यज्ञानं श्रीनारायणेन रचिता शंकरोत्यक्त्युजीविता भस्पष्टपदवाक्यानां वल्लीत्रितयदीपिका ४२ - -

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