Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 211
________________ 198 Upanixada [976 Begins (Comm.) - fol. 1a श्रीगणेशाय नमः॥ अथ वासुदेवोपनिषद् ॥ ॐ वासुदेवोपनिषदि चत्वाशिंकलानि हि ।। क्षुद्रग्रंथगणे चैको न पंचाशतमी मता ॥१॥ कालाग्निरुद्रोपनिषदि तिर्यक्पुंडविधिरुतोत्र तूर्वपुंड्रविधिरुच्यते ॥ etc. Ends (Text)- fol. 5b तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यति सूरयः॥ दिवीव चक्षुराततं ॥ तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवांसः समिंधते। विष्णोर्यत्परमं पदं॥ इत्यथर्ववेदस्थ वासुदेवोपनिषत्समाप्तं ।। छ । Ends - (Comm ) fol. 50 वासुदेवानगवतो नैवान्योर्थोस्ति तत्वतः चक्रादिधारणे स्वयं निर्णया । हस्तेनालिख्य धारयेत् ॥ सुवर्णरजतादिमुद्रासुवानतुधातुमयं । नारायणेन रचितां श्रुतिमात्रोपिजीविना ।। भस्पष्टपदवाक्यानां दीपिका वासुदेवके । समाप्तः॥ श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥छ॥छ। References :- Cat. Cat.i, 568a; ii, 1346; iii, 224b R. Mitra Notices 27; वासुदेवोपनिषद्दीपिका Vāsudevopanişaddipikā No. 976 233 (46) 1882-83 Size - 10s in. by 4g in. Extent - 643a to 647a leaves; 10 lines to a page; 35 letters to a line. Description - See No. 233 (1)/1882-83 : Mundakopanisaddipika. Begins - fol. 643a ॥ वासुदेवोपनिषदि चत्वारि शकलानि हि। क्षुद्रं ग्रंथगणे चैको न पंचाशत्तमी मता ॥ १॥ कालानिरुद्रोपनिषदि तिर्यकपुंडविधिरुकोक्तोत्र तवं पुद्र विधिरुच्यते ।। ॐनमस्कत्येति उद्धपुंडविधि । etc.

Loading...

Page Navigation
1 ... 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274