Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 227
________________ 914 Upanigads [1001 श्वेताश्वतरोपनिषद् Śvetāśvataropanisad No. 1001 _140 (16) 1879-80 Size -91 in. by 3} in. Extent-162a to 171b leaves%3; 8 lines to apage3; 32 letters to a line. Description-See No. 140 (1)/1879-80 अथर्ववल्लयुपनिषद् (Vol. I, Pt. II, pp. 10, 11). Begins – fol. 162 ॐ नमः परमात्मने । ब्रह्मवादिनो वदंति । किं कारणं ब्रह्म कुतस्म जाता जीवीम केन कच संप्रतिष्ठाः etc. fol. 1630 इति श्वेताश्वतरोपनिषदि प्रथमोध्यायः ॥ छ । fol. 170a इति श्वेताश्वतरोपनिषदि पंचमोध्यायः ॥ छ॥ Ends - abruptly on fol. 171b यदा चर्मवदाकाशं वेष्टयिष्यंति मानवाः। तदा देवमविज्ञाय दुः ...... श्वेताश्वतरोपनिषद् Svetāśvataropanişad 139(II)(6) No. 1002 1879-80 Size -61 in. by 4g in. Extent-210 to 23b leaves%3; 12 lines to a page3; 24 letters to a line. Description - See No. 139 (I) (1)/1879-80 : Mandakopanisad. Begins - fol. 210 ॐ ब्रह्मवादिनो वदंति किं कारणं ब्रह्म कुतस्म जाता जीवाम केन क च संप्रतिष्ठा ॥ अधिष्टिताः केन सुखेतरेषु वर्तामहे ब्रह्मविदो व्यवस्था ॥ etc. fol. 22b इति श्वेताश्वतरोपनिषद प्रथमोध्यायः॥ fol. 230 इति श्वेताश्वतरोपनिषद द्वितीयोध्यायः॥३॥ Ends - fol. 23b प्रत्यङ्जनास्तिष्टति संतु को चातकाले संसृज्य विश्वा भुवनानि गोपा विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पातू सं बाहभ्यां धमति संपतत्र चावाभूमि जनयन् देव एकः । यो देवानां...

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