Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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9691
Upanipads
198
Extent -10 toga leaves%3; 15 lines to a page3; 35 letters to a line. Description - See No. 487 (1) / 1882-83: Išāvāsyopanişad; (Vol. I,
Pt. II, p. 88). Begins - fol. 10
ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससत्गुरुरामचंद्राय नमः ॥ सह नाववत्विति शांतिः ॥
अथ भुर्वैर्महामुनिर्देवमानेन द्वादशवत्सरं तपश्चचार तदवसाने वराहरूपिभगवान् प्रादुरभूत् स होवाचोत्तिष्ठोतिष्ठ वरं वृणिवेति सोदतिष्ठत्तस्मै नमस्कृ
त्योवाच etc. Ends - fol. 9a
एतदुपनिषदं योधीते सोग्निपूतो भवति स वायुपूतो भवति । सुरापानात्पूतो भवति स्वर्णस्तेयात्पूतो भवति । सजीवन्मुक्तो भवति । तदेतरचाप्युक्तं ।
तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यंति सूरयः । दिवीव चक्षुराततं ॥ तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवांसस्समिंधते । विष्णोर्यत्परमं पदमित्युपनिषत् ॥ पंचमोध्यायः॥ ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससत्गुरुरामचंद्रार्पणमस्तु । वराहोपनिषत्समाप्ता॥
वल्लीत्रितयदीपिका
Vallitritayadipikā (शिक्षावल्ली, भृगुवल्ली,
(Siksavalli, Bhrguvalli, ब्रह्मवल्ली)
Brahmavalli)
233(41) No. 969
1882-83 Size — 10% in. by 4} in. Extent -566a to 590a leaves; 10 lines to a page; 35 letters to a line. Description - See No. 233 (1) / 1882-83: Mundakopanişaddīpikā.
foll. 571-589 missing. (p. 120 above) Begins - fol. 566a
ॐ नमः सिद्धं ॥ शिक्षावल्ली ब्रह्मवल्ली भृगुवल्लीति विश्रुता॥ तित्तिर्युक्तं श्रुतिशिरोनुवाकदशकत्रयं ॥
भत्र पूर्वोत्तरकांडयोः संक्षेपत संतबंध उच्यते । etc. 26 (Upadişads ]
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