Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 182
________________ 778] khanda ", " 19 Begins - fol. 16 The Svetambara Works I II III IV Ends - fol. 56a foll. 33 22 "9 16 13a 24b 40a to :: " "2 13a 246 40a 59a Age – Samvat 1786. Author Vinayavijaya and Nyāyācārya Yasovljaya. Authors — Vinayavijaya Gaṇi and Nyayviśārada Nyāyācārya Yaśovijaya Gani. Subject Life of Sripala in Gujarati verse. For details see Vinayasa. urabha and Yaśodohana after his death latest by V. S. 1745. ए ६० ॥ पंडित श्री ५ श्रीमांन विजयगणिगुरुभ्यो नमः ॥ दूद्दा ॥ कल्पवेलि कवियण तणी । सरसति करि सुपसाय । सिद्धचक्र गुण गायतां । पूरि मनोरथमाय ॥ १ ॥ error विघन सवि उपसमई । जपतां जिन चोवीस । नमता निज गुरुपाय कमल । जगमां वधदं जगीस । २ । पूछई श्रेणिकराय प्रभु । तेकुण पुण्य पवित्र । इंद्रभूति तव उपदिसई । श्री श्रीपालचरित्र | ७ | etc. 169 सूरि हरि गुरुना बहुकीरति कीर्तिविजय उवज्झाया जी । सीस तास श्रीविनयविजय वरवाचक सुगुण सोहाया जी । विद्या विनय विवेकविचक्षण लक्षणलक्षित देहा जी । सोभागी गीतारथ साथसंगतसखर ससनेहा जी । ३३ संवत सतरडीसा ( १७३८ ) वरषे रही' रांनेर' चडमासुं जी । संघ तणा श्राग्रहथी मांडिओ रास अधिक उल्लास जी । सार्द्धतसप्त (श) गाथा विरचिते पुहुता ते सुरलोकई जी । तेहना गुण गावई छई गोरी । मिली मिली थोकहूं धोकईं जी । ३४ । इति श्रीमहोपाध्याय श्री श्रीविनयविजयगणिविरचिते प्राकृतबंधे | महोपाध्याय श्रीयशोविजयगणिविरचिते श्रीपालचरित्रे प्राकृतबंधे चतुर्थखंड संपूर्णमितिः । ४ । संवत् १७८६ वर्षे वैशाषमासे शुक्लपक्षे अक्ष३या दिने । श्री पाटण 'नगरे | चतुर्मासिकस्थिते ॥ महोपाध्याय श्री १९ -22 [J. L. P.]

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