Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 282
________________ 8581 The Svetambara Works 269 रिधूतले तसु राजमह रे संवत सतरै सैतीस (१७३७) 'मकबरावाद' कीधी अम्हेरे आलमगीर अधीस १३ द. सत्कंठी दुइ साषि (?)बारे मुहपती मुद्दडै बांधि चतुर सुणावौ चौपई रे सपरो स्वर बेउ सांधि १४ य० कहिज्यो वात वणाइ कहरे ज्यु रस उपजै जोर । केवटनी मांहे कला रे धूडिकर धान ढोर १५ द. कज्जल ते हि जठी करीरे तेहीज कज्जलनेत्र तेहीज वीजसुषेत्र मई रे तेही जऊ परषेत्र १६ द० सतरह सूक्त इहां सही रे दूहा गाहा देषि चतर वांचिज्यो चौपई रे प्रथम ए करिसं पेषी १७ द. हुइ सथ पंच हत्तरद्वि(?) हडारे सड तेरह पचवीस गाथा सगली मई गिणीरे देशी सत्पाणूदीस १८ द. ग्रंथाग्रंथ ए ग्रंथ नौरे सोलइ सइ पद्य सर्व अक्षरगिणणा जो गिणउ रे बतीस अक्षर सर्व १९९० सहस अढाइ सिलोक छ रे प्रत्यक्षर परिमाण प्रसिध रहउ ए चउपई रे भूयतल जां(? नां )ससि तांण २० इति श्रीसुसढचउपई संपूर्णा ॥ शुभं भवतुः ॥ लेषकपाठकयोः ॥१॥ संवत १८१८ वर्षे फालगुणमासे कृष्णपक्षे पंचमीतिथौ शनिवासरे श्री 'देशणोक'मध्ये भट्टारकजंगमजुगप्रधानश्री श्री श्रीजिनभक्तिसूरिजीशियवाचनाचार्य श्रीमाणिक्यसागरजीगणिशिष्यपं । तत्वधर्मलिवीचक्रे ॥ 'देसणोक 'ग्रामे चतुर्मासी कृता ॥ श्रीरस्तु ॥१॥ श्रीः ॥ ॥ श्रीः ॥ श्रीः ॥॥ श्रीः॥॥श्रीः॥ Reference - For extracts and additional MSS. see Jaina Gurjara Kavio. सुसढचरित्र Susadhacaritra 1332 No. 858 1884-87 Size - 101 in. by 41 in. Extent - 15 folios; 11 lines to a page; 48 letters to a line. Description - Country paper somewhat thick, rough, tough and white; Jaina Devanagari characters with occasional पृष्ठमात्राs; big, quite

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