Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 306
________________ .618] The Svetambara Worke edges in one, in red ink; red chalk used; foll. numbered in the right-hand margin%3; fol. 1a blank; edges of the first and last foll. partly gone; condition on the whole good; complete; composed in V. S. 1810 a Simāņā, at the request of Narasimha Dhanaji in Gujrati verse; yellow pigment occasionally used for making corrections, Age-Samvat 1842. Author - Labdhivijaya, pupil of Kesaravijaya and Amaravijaya. __His additional work is जम्बूस्वामीनो शलोको । Subject - Story of Haribala, a fisherman. It points out the import ance of compassion towards living beings. Begins - fol. 10 ॥ॐ॥ श्रीगणेशाय नमो नमः दूहाः प्रथम धराध जगधणी प्रथम श्रमण पणिएह प्रथम तिर्थकर जगजयो प्रथम गुरु पभणेह १ विश्वस्थितिकारक प्रथम तारक विश्वनु द्योत - धारक अतिशय आदिजिन कारक भवनिधिपोत २ After 10 verses we have :जीवदया थकी पांमीओ हरीबल मच्छीराय तास संबध सुणता थका सघलां पातिक जाय १३ रास सरस सुणतां थकां जे को करिशी वात तेहनें तशवलंभ तणां सम दियो छंसात १४ etc. Ends - fol. 710 सुद्धपरंपर सोहमतषते' प्रगटया हीरसुरिंदारे तस सीष्य धर्मविजय धर्मधीरि दीये जू सारदचंदा रे १९ सु. तस सिष्य पंडित धनहर्ष ज्ञांनी सुमति सदा चित मांनि रें। तस शिष्य पंडित कुशलविजय कवी प्रतिबोध्यां अनुमानी रें २० सु० तस भ्राता गणि कमलविजय सुभज्ञान विज्ञानमा लिना रे तस शीस पंडित लक्ष्मीविजय गुरुं संवेगरशमां भीना रे २१ सु० तस शिस पंडित दो गुणी ज्ञाता केसर अमर दो भ्रातारें तस पंडित किंकर लबद्धिविजय कहें ग्यारे उल्लासें विष्यातो रे २२ सु०

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