Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 248
________________ 8331 The Svetambara Works 233 Begins (Balavabodha)-fol. 16 हे श्रीसीमंधरस्वामी तुमे माहरी वीनती सांभलो देव क ता श्रीदेवाधीदेव etc. Ends - fol. 240 स्वा. इम सकल सुखकर दुरितभयहर विमल क्षणगुणधरो प्रभू अजर अमर नरिदविदित वीनव्यो सीमंधरो निजनादतर्जित मेघगर्जित धैर्यनिजि(जि)तमंदिरो श्रीविजयदेवसूरिंदपटधरश्रीविजयासंहसुरीसरो श्रीनयविजयबुधचरणसेवक जसविजयवाचक जय करो १२५ Ends (Balāvabodha)-fol. 22b एक छै तुझ उपरि राग माहरो मन वचन कायाई करी॥ तेहतुं माह मुक्तिरूप तरू वृक्ष नेहनो कंद ते पांमीने तुझ प्रति ॥ तुझ सरिषो अन्यदेव हुं न गणुं जो सुख० देवता नरक० मनुष्यतेहना वृंद मिलें तोइपिण १६ स्वा० इति श्रीमहोपाध्यायश्रीजसविजयगणिना कृत श्रीसीमंधरजिनस्तवन संपूर्ण शुभं भवतु संवत १७७७ ना वर्षे शाके १६४२ प्रवर्त्तमाने माहमासे विदपक्षे त्रयोदसी सोमवासरे लषितं सकलपंडितशिरोमणिपंडित श्री श्री ५ श्री श्री सौभाग्यविजय तशिष्यगणिश्रीवृद्धिविजयतशिष्य चेलावस्ता लिषितंः । श्राविकासंघविणपठनार्थ । श्री सूरति 'बंदिरे शुभं भवतुः ॥ श्री॥ रस्तुः ॥ कल्याणमस्तुः॥ श्रीः ॥ छ ॥ श्री ॥ छ । लेषक पाठयो चिरं जयतु । श्रीः॥छ ॥श्री | etc. या शं पुस्तकं दृष्टा । तादृशं लषितं मया यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न जायते ॥ श्री ॥ छ ॥ श्री ॥ छ । श्री ॥श्री ॥छः॥ etc. Reference -Published in Prakaranaratnakara (Vol. III) and in Sajjana Sanmitra (pp. 299-309). For extracts and additional MSS. of the text see Jaina Gurjara Kavio (Vol. II, pp. 38-39). सुकुमालरास No. 833 Size - 10 in. by 33 in. Sukumālarāsa 1669 1891-95

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