Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 241
________________ 228 Jaina Literature and Philosophy 1827 संबप्रजूनकथा सरस १ प्रत्येक बुद्धप्रबंध । नलदवंदती ३ मृगावती ४। चपई च्यार संबंध ॥४॥ भाई तंभावी तिहां । समयांदीधउ साद । सीतारामसंबंध पणी । सरसति करे प्रसाद ॥ ५ ॥ etc. Ends -- fol. 106a सीतारामनी चउपई । एहनइ आग्रह करी कीधी रे। देस प्रदेसइ विस्तरी न्यानवृद्धि लिखावतां लीधी रे ॥ २३ सी० ॥ श्री खरतर 'गच्छराजीया । श्रीयुगप्रधान जिणचंदो रे। प्रथम शिष्य श्रीपूज्यनउ । गणि सकलचंद सुखकंदो रे ॥ २४ सी० ॥ समयसुंदर शिष्य तेहना । श्री उपाध्याय कहीजइ रे । तिण ए कीधी चउपई । सीजण सासण स लहीजइ रे। २५ सी० ॥ वर्तमान गच्छना धणी ।। भट्टारक श्रीजिनराजो रे। जिनसागरसूरीसरु। भाचारिच अध(घि)क दिवाजो रे ॥२६ सी० ए गुरु नइ सुपसाउ लइ । ए चउपी चडी परमाणो रे।। भणां सुणतां वाचतां । हुयइ आणंद कोडि कल्याणो रे ॥२७ सी। सर्वगाथा ॥ ३५५ ॥ इति श्रीसीतारामप्रबंधे । सीतादिन्यकरण। १ सीतादीक्षा २ लक्ष्मणमरण ३ रामनिर्वाण । ४ लषमणराणवसीतागामिभवपृच्छावर्णनो नाम नवमः खंडः समाप्तः॥ सीतारामनी चउपई । संपूर्णा ॥ प्रथमखंडे । ४५। द्वितीयखंडे १९२॥ तृतीयखंडे । १६८। चतुर्थखंडे गाथा १९८ । पंचमखंडे २४८ षष्टखंडे ४४४ । सप्तमखंडे ३१२ । अष्टमखंडे । ३२३ ॥ नवमखंडे गाथा ३५१ ॥ सर्वर्षडगाथा ॥ २४१४ ॥ ग्रंथानं ३७०४ ॥ सीः ॥ संवत् १६९७ वर्षे पोष सुदि २ सुकवारे ॥ श्री खरतरे 'गच्छे श्रीवा० श्रीराजकलशजी तस्य शिक्षणी साध्वी कमलसुंदरी तस्य शिक्षणी साध्वी दयासुंदीरी तस्य शिक्षणी प्रभावती लिपीकृतं भात्मा अर्थे । भा ... ममध्ये॥॥ श्रीः ॥ कल्याणमस्तु [:]॥ श्रीः॥॥ Reference - For extracts and additional MSS. see Jaina Gurjara Kavio (Vol. I, pp. 355-365). The MS. written by the author himself is in the Bbāņdāra of Āgră. Rāmagiri rāga, Bangālo rāga, Parajiyo rāga, Dhanyāśri rāga Māraṇi rāga, Malbāra rāga, Khambhāvati rāga and Paddhati metre etc. are mentioned in Jaina Gurjara Kavio on pp. 360-363. - -

Loading...

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332