Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19
Author(s): Hiralal Rasikdas Kapadia
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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785]
The Svetāmbara Works
177
177
Age --Old. Author - Somavimala Sūri, pupil of Saubhāgyabarşa of the Tapā
____gaccha. Subject — A story of Sreņika, a king. Begins - fol. 1a
॥६०॥ श्रीसद्गुरुभ्यो नमः ॥ सकलरिद्धिमंगलकरण । जिण चवीस नमेवि। ब्रह्मापुत्री सरसती माय पाय पणमेवि ॥ १ गोयम गणहर नई नमुं । विधनविणासणहार । सोहमस्वामि नमुं सदा । जसु शाषाविस्तार ॥२ सार सदा फल गुरु तणा । हुई अविचल पट्ट। अनुक्रमि पंचावन मइ । जस नामि गहगद ॥३ हेमविमल तणु दीपता । श्रीहेमविमलसूरिंद तेह तणे चलणे नमी । हिमउइ धरी भाणंद ॥४ चंद परिइं चडती कला | लब्भह जोहनह नामि ।
सोभागहरिषसूरिंदवर । हरषिउ तासु प्रणामि ॥ ५॥ etc. Ends abruptly - fol. 19b
समणे जह कुलवालए। मागहि अंगणि अंगमिस्स ए। रायाय । असोगचंदए । 'वेसालिं' नगरिंगंहिस्स ए ॥ ८१ मुनिना पय प्रणामा कोणी कहई विशाला'नयरी कहु भेद जिनिमघा(?)इवे सराला तव पुहतु नयरी बेष करी अवधूत । लोक कावा प्रणमी भाषा भलिइ पहत ॥ ८२
भलिइ पहता कह तुम्हे अझनई भरि. The MSends abruptly. Reference - Published by Chotalal Maganlal from Ahmedabad.
For extracts and additional MSS. see Jaina Gurjara Kavio (Vol. I, pp. 183-185). On pp. 184-185 the complete colophon is given.
षट्पुरुषविचार [षट्पुरुषचरित्र] No. 785
Şațpuruşavicāra [ Satpurusacaritra]
383 1871-72
Size -108 in. by41 in.
...23 [J.LP.]
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