Book Title: Danvir Manikchandra Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 8
________________ (११) चार वर्षसे इस चरित्रको पड़नेके लिये सारा जैन समाज लालायित हो रहा था और बहुत समय से अनेक आर्डर भी आ गये थे परन्तु तैयार होनेमें कई कारणोंसे विलंब हो गया इसलिये पाठकों से हम क्षमाप्रार्थी हैं तथा इसमें जो कुछ त्रुटि मालूम पड़ें उसकी सूचना हमको अवश्य देवें क्योंकि यदि इस जीवनचरित्रकी विशेष मांग होगी तो इसकी दूसरी आवृत्ति निकालने का भी हमारा पूर्ण विचार है । इति शुभम् । ' वीर सं० २४४५ पौष वदी ३ गुरुवार ता० २६-१२-१८ सूरत. Jain Education International j जैन जातिसेवकमूलचन्द किसनदास कापड़िया For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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