Book Title: Danvir Manikchandra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 6
________________ किये और हस्तलिखित कई ग्रन्थोंसे भी सूरत और आसपासके मन्दिर, प्रतिमाओं और ग्रन्थादिका पता लगाया । सूरत, रांदेर आदिके मंदिरोंकी प्रतिमाओंके लेखादि संग्रह करने में यहांके हमारे उत्साही मित्र भाई छगनलाल उत्तमचंद सरैयाने बहुत सहायता की थी जिसके लिये भाई सरैयाके हम आभारी हैं। इसके सिवाय सेठजीकी फर्मसे स्वर्गवासके बाद आये हुए तार पत्रादि प्राप्त किये और पत्रोंके शोकजनक लेख और कविताएं प्राप्त की। इस तरह इस बृहत् चरित्रकी सामग्री इकट्ठी करनेमें बहुत समय लग गया । फिर मान्यवर ब्रह्मचारीने जब तीसरे वर्ष बड़ौदेमें चौमासा किया था तब इस चरित्रको लिपिबद्ध कर लिया। बाद छपानेका काम प्रारंभ हुआ जिसमें कई कारणोंसे विलंब हुआ और फिर इसमें सेठनीकी कई अवस्थाओंके चित्र, आपकी स्थापित संस्थाओंके चित्र ऐसे कई चित्र प्रकट करनेका इरादा था जिसको प्राप्त करने और तयार करनेमें भी विलंब हुआ । पाठकगण ! आपने बहुतसे जीवनचरित्र पढ़ें होंगे परंतु इस बृहत् चरित्रमें आपको कुछ विशेषता अवश्य ही दृष्टिगोचर होगी; क्योंकि स्वर्गीय सेठजीका वंशपरिचय और अपनी समाजोन्नतिकी कार्य प्रणालीका वर्णन पढ़मेसे पाठकोंको बहुत ही लाभ होगा और सूरत जिलेके जैनोंकी पूर्व कीर्ति-कौमुदीका वर्णन तथा शिलालेख, भट्टारकोंकी पट्टावली तथा जातियोंकी उत्पत्तिका वर्णन पढ़नेसे यह जीवनचरित्र एक संग्रह करने योग्य जैनशास्त्र ही मालूम होगा। जब एक ऐशआराम करनेवाला बहुत बड़ा धनिक अपने पैसेका उपयोम धार्मिक और सामाजिक कार्यो में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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