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( ८ ) भेजने के लिये भारतवर्षीय दि० जैन महासभा कार्यालयके, सबसे पुराना मासिक 'जैन बोधक' (मराठी) की प्रारंभसे फाइलें भेजने के लिये सेठ रावजी सखाराम दोशी सोलापुरके, 'जिनविजय ' ( मराठी ) मासिककी फाइलें भेजनेके लिये श्रीयुत भरमप्पा पदमप्पा पाटील (होसूर ) के और 'जैनमित्र' तथा 'जैनगजट' की कुछ फाइलें भेजने के लिये बम्बई दि० जैन प्रांतिक सभा कार्यालयके हम आभारी हैं; क्योंकि इन फाइलों से ही इस चरित्र के लिये हमें बहुतसी सामग्री मिल सकी है।
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अब सेठजीके वंशका विशेष परिचय जाननेकी आवश्यकता थी जिसको आपके लघु भ्राता सेठ नवलचंदजी (जो कि इस जीवनचरित्रको प्रकट हुआ देख नहीं सके और गत वर्ष में स्वर्गवासी हुए हैं ) और आपकी पत्नी श्रीमती परसनबाई को पूछ कर नोट किया था और आपके पिताकी जन्मभूमि भींडर ( मेवाड़ उदयपुर ) का कुछ परिचय प्राप्त किया और स्वर्गीय सेठजीकी जन्मभूमि सूरत शहरका - जो कि " सोनानी मूरत ( सोने की मूर्ति ) कही जाती है और अति प्राचीन शहर है, जहां कई भट्टारक हो गये हैं, कई ग्रन्थ तैयार हुए थे, और कई मंदिरोंका निर्माण हुआ था और उसके आसपास यानी गुजरात देशका प्राचीन इतिहास इस चरित्रमें प्रकट करनेका हमारा और ब्रह्मचारीजीका विचार हुआ था; क्योंकि जिससे स्वर्गीय सेठजीकी जन्मभूमिका महत्व प्रकट हो जाय और साथ २ अपने धर्म की पूर्व महत्ताका परिचय मिल जाय इसलिये इधर उधर घूमकर कई पुस्तकें एकत्रित कीं और कई प्रतिमाओंके लेख उद्धृत
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