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(१०३) नो जे अवबोध तेनुनाम दर्शन १ चक्षुदर्शन, ५ अचकुदर्शन, ३ अवधिदर्शन, ४ केवळदर्शन एम चार प्रकारे दर्शन .
चकुदर्शन-घटादि पदार्थोंने आंखोवमे सामान्य पणे देखq ते. अचकुदर्शन एटले चक्नु सिवाय बाकोनी जियो जे स्पर्शन, रसन, प्रागन, श्रोतन थने नोइंडिय जे मन एणे करी शब्दादिक अर्थनो जे सामान्यावबोध थाय ते अवकुदर्शन, अव्य, क्षेत्र, काळने नाव ए चार मर्यादा मांहे रह्यां जेरुपी प्रव्य तेनो सामान्यावबोध ते त्रीजु अवधिदर्शन, सर्वनव्यनो सामान्यावबोध ते निरावरण अप्रतिपातीएवं चो| केवळ दर्शन जाणवू. ए चार दर्शन अनाकार बे, कारणके जाति, गुण, क्रियादिक विशेषण रहित तथा वस्तुना आकार रहित केवळ आकांकडे एवं देखीए नेनुं नाम दर्शन का .
पृथ्वीकायादि पांच एकडियना पांच दमक, बे इंडियनो एकदमकथने तेभियनो एक दमक एम सात दमकने विषे एक अचदर्शन होय, चौरिधि