Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

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Page 201
________________ (१५) वाव, गठ, पोळ, कोग, वहाण, रथ अने गामादिक मपाय जेमके रुषन्नदेवना वारे रुषनदेवना अंगुले मापीने लोको घर, हाट; कुवा प्रमुख करता हताअने श्रीमहावीर स्वामीनावारे महावीर स्वामीना अंगुले मापीने घर, हाट, कुवा प्रमुख लोको करता हता ए प्रमाणे आत्म अंगुलनुं स्वरुप जाणवू. अनंता सुदम परमाणुए एक व्यवहार परमाणु थाय, ते व्यवहार परमाणु मंदिरने विषेबिडादिकथी श्रावता सूर्यना किरणोमा जे उमतां रजना कणीया देखाय डे, तेना अनंतमा नाग जेटलो कीणो होय बे. अनंता व्यवहार परमाणुए एक उष्ण सन्नियो थाय, आठ उष्ण सन्निये एक सण सन्नियो थाय.ए आठ सण सन्निए एक उघरेणु अने आठ उर्घरेणुए एकत्रसरेणुथाय . ते त्रसरेणु बेडियादिक त्रस जीवोने चालती जे रज उमे डे, तेना एक कणीया बराबर जाणवो. आठ त्रसरेणुए एक रथरेणुए थाय; तेरथरेणु रथादिक चालतां जे रज उमे ने ते मांहेना एक कणीया जेवमो जाणवो. आठ रथरेणुए कुरुक्षे.

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