Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

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Page 205
________________ (१९६) नरीए पड़ी ते कुपमांथी समय समये एकेको खंग काढीए एम काढतां काढतां जेटलाकाळे एपल्यखाली थाय तेटला 'काळने सुदमजार पढ्योपम कहे . सुदम उक्षार पढ्योपम असंख्याता समय एटले सं. ख्याता कोम वरसनो होय . पच्चीस कोमा कोमी जहार पट्योपमना जेटला समय थाय तेटला छोप अने समुझो आति; लोकमां ने एम का बे. पूर्वोक्तयोजन प्रमाण पत्य बादरवाळाग्रेनरी अने तेमांथी सोसो वर्षे एकेक वालाग्र काढतां काढतां ते पक्ष्य जेटलाकाळे खाली थाय तेटलाकाळने बादर अक्षा पस्योपम कहे . बादर अक्षापल्योपम संख्याता क्रोम वरस प्रमाण थाय. हवे तेहीज बादर खमना पूर्वोक्त रीते असंख्याता सुम खंगकल्पोए ने ते कटपेला खंम्मांथी एकेको खंग सोसो वर्षे काढीए ने एम सुदम खम काढता काढतां जेटलाकाळे ते पढ्य खाली थाय तेटला काळने सुक्ष्म अध्यापथ्योपम कहे . सुक्ष्म अक्षपढ्योपम असंख्याता क्रोम वर्षे थाय, दश कोमाकोमी सुक्ष्म अज्ञपयोपमे एक अश

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