Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

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Page 203
________________ (१ए४) जाणवू. पाठांतरे हजार उत्सेघांगुले करीने एक प्रमाण अंगुल थाय एम लख्यु माटे बह श्रृत कहे ते सत्य जाणवं. चोवीस प्रमाण अंगुले एक हाथ, चार हाथे एक धनुष्य, बे हजार धनुष्ये एकगाउने एवाचार गाउए एक जोजन थाय . शाश्वता पर्वतो, छीपो, समुछो, नदी, अहो, पृथ्वी, लोक, अलोक, नरका वासा अने विमानो विगेरेनुं लांबपणुं, पहोळपणुं तथा परिधि विगेरेना माप प्रमाण अंगुले कयां डे. ___ हवे पक्ष्योपमनुं स्वरुप कहे . एक नम्बार पव्योपम, बोजो अज्ञापट्योपम अने त्रीजो देत्र पट्यो पम एवी रीते त्रण प्रकारना पल्योपम , ने ते दरेक नावळी एक बादर अने बीजो सुक्ष्म एम बेवे नेद. गणता पस्योपम उ प्रकारना थाय . उत्सेघांगुले एक जोजन एटले चार गाउलांबो, पहोळोने उमो एवो एक कुपाकार पट्य ( पालो) कल्पीए, ने तेपथ्य मध्ये देवकुरु अथवा उत्तर कुरुमा उत्पन्न थयेलो एवो सात दिवसनो घेटो होय ते घेटानोवाळ एक उत्सेघांगुल प्रमाण सर तेना सात वार प्रात आठ खंम करीए त्यारे ए एक उंगुल प्र

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