Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

View full book text
Previous | Next

Page 172
________________ ( १६३) अने पांच समुर्छिम तिर्यच पंचेंद्रिय पर्याप्ता एम प. बोसनेदमाहेथी जोव यावी उपजे. एवीरीते चोवीस दंरके श्रागतिकही. ॥ इति श्रागतिहार ॥ .. अथ चोत्रीसमुं संपदा हार, ___ संपदा-पदवी वासना नाम. १ अरिहंतनी पदवी, १ चक्रवर्तिनी, ३ वासुदेवना, ४ बळ देवनी, ५ केवळीनी, ६ साधुनी, ७ श्रावकनी, न सम्यक्स. ष्टिनी, ए ममलिकनी, ए नव मोटी पदवी तथा चौद रत्न चक्रवर्तिना मेळवता त्रेवील पदवी थाय.ते चौद रत्नना नाम, १ सेनापति रत्न, ५ गाया पति रत्न, ३ वाधिक रत्न, ४ पुरोहित रत्न, ५ स्त्रीरत्न, ६ ह. स्तिरत्न अने ७ अश्वरत्न ए सात पचेंडीय रत्न ले तथा १ चक्र रत्न, २ खमग रत्न, ३ बत्र रत्न, ४ चर्म रत्न, ५ दंग रत्न, ६ मणिरत्न अने ७ कांगणि रत्न, ए सात एकेजिय रत्ल जाणवा. एम नवमोटो पदवी, सात पचेंजिय रत्न अने सात एकेजियरल घश्ने त्रेवीस थया, चौद रत्नमा सेनापति ते देश

Loading...

Page Navigation
1 ... 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210