Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

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Page 191
________________ (१२) एकिंजियनापांचदमकथने विगलेंडियना त्रण दंमक एम आठ दंगकना जीवोने तथा समुर्चिम मनुष्य अने समुर्छिमतिर्यंचपंचेंजियने एक जरावेदनोज होय . सिझ्ना जीवोने एके वेदनी नथी. ॥ इति जराउछार ॥ . .. श्रथ अमत्रीसमुं परिग्रहहार. परिग्रह-संग्रह ते त्रण प्रकारे . १ कर्म परिग्रह, २ शरीर परिग्रह अने ३ बाह्य नंमोपगरण (नाजनादि उपकरण ) परिग्रह. ___नारकी तथा एकिंजियने एक कर्म परिग्रह अने बीजो शरीर परिग्रह एम बे परिग्रह होय जे. देवता तथा त्रण विगछिय, तिर्यंच पंचेंजिय थने मनुष्यने त्रणे परिग्रह होय . ॥ति परिग्रहधार ॥ अर्थ जंगणचाळीसमुंघल्प बहुत्वधार. अल्पबहुत्व एटले सर्व जीवोमां कया दंगके जीवो थोमा अने कया दंगके जीवो वधारे एम जे कहे, तेनुं नाम थहिं अल्पबहुत्व जाणवू.

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