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(११७) दशमुं सुक्ष्म संपराय अने श्रगियारमुं उपशांत मोह गुणस्थानकनी स्थिति जघन्य एक समय थने उत्कृष्ट अंतरमुहुर्त दरेकनी कही . बारमा क्षीणमोह गुणस्थानकनी स्थिति जघन्य तथा उत्कृष्टथी पण अंतर मुहुर्तनी जाणवी. चौदमा अयोगीकेवळीगुणस्था. नकनी स्थिति पांचहस्वाक्षर उच्चारण काळ जेटली
कही बे.
दरेक गुण स्थानके खेश्या, योग, उपयोग, बंध, उदय, उदीरणा अने सत्ता कहे . मिथ्यात्वादिक प्रथमना 3 गुणस्थानके सर्व बए खेश्याहोयडे; अहीयां प्रत्येकलेश्याना असंख्याता खोकाकाश प्रदेश प्रमाण अध्यवसायस्थानक होय डे ने तेथी प्रमत्त गुण स्थानके पण काश्क कृष्ण लेश्याना अध्य वसाय होय माटे कांस्वीरोध जाणवो नदी. सातमा अप्रमत गुणस्थानके, तेजो, पद्म थने शुक्ल ए त्रण लेश्या होय.श्रापमा अपुर्व करणगुणस्थानकथीतेरमा गुणस्थानक सुधी एक शुक्ल लेश्या कही थने चौदमुं श्रयोगी गुणस्थानक अशी कबुं जे. पहेला मिथ्यात्व