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(???) पथ वीश गुणस्थानकद्वार. गुणस्थान- गुण जे जीवना ज्ञान, दर्शन, चारित्रादि गुण तेनुं स्थान अशुद्ध, शुद्ध, शुद्धतर, शुद्धतम विगेरे अध्यवसायने गुणस्थानक कदेबे, जो पण जीवना असंख्याता अध्यवसाय स्थानक ने असंख्य गुणस्थानक होयड़े तो पण स्थल व्यवहारे चौद गुण स्थानक कांबे सेनां नाम १ मिथ्यादृष्टि गुणस्थानक, २ सास्वादन गुणस्थानक३ मिश्रदृष्टि गुणस्थानक, ४ अविरति सम्यक् दृष्टि गुणस्थानक, ५ देशविरति गुणस्थानक, ६ प्रमत्त संयत गुणस्थानक, 9 अप्रमत्तसंयत गुणस्थानक, निवृत्ति अथवा अपूर्व करण गुण स्थानक, ९ निवृत्ति - बादर संपराय गुणस्थानक, १० सूक्ष्म संपराय गुणस्थानक, ११ उपशांतमोह वीतराग गुणस्थानक, १२ क्षीणमोद वीतराग गुणस्थानक, १३ सजोगी गुणस्थानक, १४ अयोगी केवळी गुणस्थानक एम चौद गुणस्थानक जाणवतं.
मिथ्यात्व एटले जीन वचनथी विपरीत दृष्टी, जेम धंतुराना बीज खाधे थके श्वेत वस्तुने पण पी