Book Title: Chaiyavandana Mahabhasam
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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एषमाया पूजा करन्या नियमतः स्वक्षता । सामानावे तुधारवेत् उत्करणपरिणामम् ॥ २० ॥ जो पंचवसत्विव-बहुविहफल भक्स-दीवदागाई। आमेषपूजा उवहारो जिणपुरओ, कीरइ सा बामिससवजा २०४ यः पञ्चकर्मवस्तिक बहुविषफल-श्व-दीपदानादिः। उपहारो जिनपुरवः क्रियते साऽऽमिसपर्या । २०४ ।। गंधवनट्ट वाइप-लवणजला-दिवाइज कि आमिसयाए चिय, सई पित्यं समोयरह॥२०५॥ गन्धर्वनाटब-बावित्र-उवणजला-ऽऽत्रिकादि यत्कृत्यम्।
आमिषपूजायामेव सर्वमपि क्समक्वरति ।। २०५ ॥ पूयादुर्ग पि एवं, उचिव नहु साहु-साहुणिजनस्त। सावयजणस्स नियमा, उपियं सामम्गिसन्मावे ॥२०६।।
पूजाहिकमप्येतदुचितं न खलु साधु-साध्वीजनल । भावकजनस नियमादुचितं सामग्रीसदावे ।। २०६ ॥ थुइपूजा विमेवा, वंदणकरणोधियम्मि देसम्मि। स्तुतिपूजा ठाऊण जिणामिमुहं, पढणं जहसत्ति वित्तापं ॥२०७ स्तुतिपूजा विशेया बन्दनकरणोचिते देशे। लिला जिनामिमुखं पठनं यथाशक्ति वृत्तानाम् ॥२०॥ अबा वि तिहा पूया, मणिया सत्यंतरेसु सहापं । पूर्वसूरमः पूर्यासोलसए जं, मणियमिणं पुश्वसूरीहिं २०८ अन्याऽपि विधा पूजा मणिता शास्त्रान्तरेषु श्राद्धानाम् । पूजापोग्शके याणितमिदं पूर्वसूरिभिः ॥२०८॥
1.नन्दसाम् । २. मीहरिभद्रसूरिप्रणीते पोरकर हर पूजापोडसं मालम, पत्र साहित्यमोदति।
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