________________ भा० च०४ 23 // MAD/EMBEDIEVED// तथा अर्थ पण कहेशे. यद्यपि इछामि खमासमणो तथा जे अध्यासिनो ए गाथा तथा तस्स उत्तरी, अन्नब, इत्यादि अपर ग्रंथांतरें तो ए सूत्रमा संकलित नथी तथापि नाष्यमांदेला देववंदनाधिकारें बोल्या बे, अन्यथा जे पूर्वे उत्तर द्वार कयां, ते पूर्ण न थाय, ते माटें ते सर्व द्वार एकगं कहे . अडसहि-अडसठ सयंच-एकशोने | दो गुणतीस-बसें ओगणत्रीस | अइन उयसयं-एकशो अहाणुं अठवीसा-अठ्ठावीश दुसय-बसें दुसष्ठा-बसें शाठ दुवनसयं-एकशो बावन नवनउय-नवाणुं सगनउया-सताणु | दुसोल-बसें सोल अडसहि अठ्ठवीसा, नवनउयसयं च दुसयसगनउया // NagaNDawvaasanp/DD/app/ee/DD/oas /aus/app/oDamasase दोगुणतिस दुसग, दुसोलअडनउयसयदुवन्नसयं // 26 // 23 // शब्दार्थ-१ नंवकारना अडसठ, 2 इच्छामि खमासमगनां अहावीश, 3 इरिया बहियानां एकसोने नवाणु, 4 नमु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jame by dig