Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai
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________________ ०भा० प०भा० // 152 // हवे चार अनदय विगय , तेना उत्तरत्नेद कहे . कुत्तिय-कुतां बगतरांगें मध | तिहा-त्रण प्रकारर्नु | दुहा-वे पकारनु | मंस-मांस मच्छिय-माखीजें तिहा-विधा क-काष्ट जल-जलचर घयन्व-घृतनी येठे भामर-भमरान पिट-पिष्ट यल-थलचर मख्खण-माखण महु-मध खम-खेचर अभख्खा -अभक्ष्य मन-मदिरा कुत्तिय मच्छिय भामर, महुतिहा कह पिट्ठ मज्झदुहा॥ जलथल खगमंस तिहा, घयव मख्खण चउ अभख्खा४१ दारं Resea@SBANDARDARupasaavadgaodae शब्दार्थ-कुतीयुं, मांखीनुं असे भमरीनुं एम प्रण जातनुं मध, काष्टथी अने पिष्टथी बनावेली मदिरा बली जलचर, है || थलचर अने खेचर जीवोनुं एम पण आतनुं मांस अने घीनी पेठे चार जातनुं मांखण ए चार अभक्ष्य छे. // 41 // विस्तारार्थः-तिहां प्रथम मधु विगयना नेद कहे जे. एक कुत्तां बगतरां जंगल मध्ये थाय nin Education international www.janelibrary.org For Personal & Private Use Only

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