Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai
View full book text
________________ प०भाल प०भान e edeegsEsts // 17 // एयंच-ए वली / मणवयणतणूहि-मन वचन अने जाणग जाणग पासि-जाण / भंग चउगे-चार भांगाने उत्तकाले-उक्त काल कायाये करी अंजाण्या पासे तिसुअणुग्णा-त्रग भांगाने सयंच-पोतानो मळे पालणिय-पालचा योग्य ते इत्ति-एम विषे अनुज्ञा एयं च उत्तकाले, सयं च मण वयण तणुहिं पालणियं॥ . जाणगजाणग पासि, त्तिभंग चउगे तिसु अणुण्णा॥४३॥ दारं / शब्दार्थ-वली ए पच्चख्खाण कहेला काले लेनार धगीये पोते मन, वचन अने कायाए करीने पालवा. वली ते प. चख्खाण करनार जाण अथवा अजाग तेमज करावनार जाण अपवा अनाण एम चार भांगा थायछे. तेमा प्रथमना त्रण | भांगे आज्ञा छे. // 43 // विस्तारार्थः-ए पूर्वोक्त वली उक्तकाल जे पोरिसीयादिक काल प्रमाण रूप ते पोतानी मेळे जेवी रीते बोट्युं होय-यथोक्तरूपे जे नंगादिके ली, होय, ते नंगादिके मन, वचन अने कायाये करी पालवा योग्य ते जाण अजाण्या पासे करे एम नंगचतुष्के एटले चार नांगाने विषे NapanapDotomadrasutimanoramanup/ maratramserenaa // 15 // aporea Tin E cation International For Personal & Private Use Only www.anebryong

Page Navigation
1 ... 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338