Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

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Page 334
________________ प०भा० VERMAmeenawRAMMERasamast eeutenawaRDAN शेग्नो पुत्र कहेवा लाग्यो के तमारीवती हुँ मातृपूजन करवा जाउंबु, एम कही ते गयो, एटलामां वच्चे रस्तामां अंत्यजे तेनो संकेत जाणी ते शेग्ना पुत्रने जमाइ समजी मारी नांख्यो. नवितव्यताथी बलवत्तर कोश् नथी. पड़ी ते पुत्रमरणर्नु वृत्तांत सांजलीने हृदयस्फोट थ शेठ पण मरण पाम्यो. अनुक्रमे घरनो स्वामी दामन्नक थयो. ऋषिनाषित वचन अन्यथा न थाय. - अनुक्रमे एकदा पाबले पहोरे पाहरी देतो हतो तेणे एक मंगल पाठक गाथा कही. तद्यथा। अणुपुंखमावहंतावि, अन्नबा तस्स बहुगुणा हुँति // सुह पुरककम्म फुतो, जस्स कयंतो वह परकं // 1 // ए गाथानो अर्थ सांजली एक लदनुं दान दीg, एम त्रण वार गाथा सांजली त्रण लद दान दीधुं. राजाये ते वात सनिलीने पोतानी पासे तेमाव्यो. पली सर्व वीतक वात राजा आगल कही, राजा हर्ष पाम्यो थको तेने नगरशेठनी पदवीये स्थाप्यो. एकदा गुरु आव्या सांनली वांदवा गयो, तिहां धर्मदेशना सांजली अने पुरातन नव मत्स्य मांस पच्चख्खाणादिक सर्व सांनयु, बोधिलान पाम्यो, धर्मानुष्ठान साचवी देवलोके गयो. तिहांथी महाविदेहमा सुकु. DaourangapancDonadeaans/name/0/ // 16 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org

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