Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

View full book text
Previous | Next

Page 330
________________ पितभा // 161 Potavavengerseasetore/en/item/eeWAAMR/ Acatiavrapali पच्चख्खाणस्स फलं, इह परलोए य होइ दुविहं तु // इहलोए धम्मिल्लाई, दामनगमाइ परलोए॥४७॥दारए शब्दार्थ-पच्चख्खाणर्नु फल आ लोकमां धम्मिलकुमारादिना अने परलोकमां दामनकांदिकना दृष्टांतथी जाणवू.४७ विस्तारार्थः-पच्चख्खाणर्नु फल ते श्ह लोक तथा परलोक आश्री बे प्रकारर्नु वली होय, | / तेमां कोइएक प्राणीने इहलोके एज नवमां तुरत फल थाय, अने कोइएकने परलोके एटले | परनवे फल थाय, तिहां था लोकाश्रयी तो धम्मिलादिकनो दृष्टांत वसुदेवहिंमीग्रंथथी जाणवो, | एटले धम्मिझे उत्तरगुण पच्चख्खाण चारित्ररूप उ महीना पर्यंत आयंबिल प्रमुख तप कर्यु, तेथी। तेहीज नवे घणी लब्धि उपनी, शरीरना मल मूत्र सर्व औषधरूप थयां, राजसंपदा नोगवी मोक्षपदवी पाम्यो, अने परलोकने विषे एटले परनवमां दामन्नकादि प्रमुखना एटले दामनक - NapanaanWATNepadeanasanvaadvanRRANS // 16 For Personal Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338