Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

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Page 331
________________ a nwww bestowivateAGARAwary नामे व्यवहारीयाना चटानो दृष्टांत श्रीनावश्यक नियुकिगमन यंप्रथकी जावा. पटले पञ्चरकाण फलनु नवमं द्वार थयु, ननर बोल ने श्रया // 40 // एमां पानव श्राश्रयी पञ्चकाणना फल संबंधी धम्मिलकमागटिकनाष्टांत को , तेनी कथा संकेपर्थ। लग्बपी जोश्ये, परंतु प धम्मिन्नो रामपाइ गयो ने. नेलां एमनी संपूर्ण कथा घणा सजनोने वांश्वामां आव। गयेली , माटे ही लम्बी नयी. जे मनोने यांचवानी अनिलाघा होय तेम्मो रास वांची लवो. अने परनवे दामन्नकादिकरे फल श्रथु ले ते दामना कनो दृष्टांत संप मात्रे खर्चीये येःराजपुर नगरे एक कुलगर रहेतो हतो, तेनो जिनदास श्रावक मित्र हनो, तेनो संगतथी कोश्क दिवसे साधु पास गया, त्यां मत्स्यता मांसनो नियम लोधो, अनुक्रमे निद थयु, नेवारे घणा लोक मत्स्याहारी थके शालिकादि पुरुषे बलात्कारे उद्द समीपे आएयो, तिहां ते जालमा नाखेला मत्स्यने जाने मुकी यापे. एम ऋण दिवस सुधी बलात्कार कराव्यो. तेवार एक मत्स्यनी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org

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