Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

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Page 314
________________ प०भा० // 153 TamasaantesterseDDIRepaidaopdatemaramewater जीव उपजे, तेमां मांसपेशी मध्ये तो पक तथा अपक्क तथा अग्नि उपरे पच्यमान एवो थको पण तेमांहे असंख्य बेंजिय तथा पंचेंद्रिय तथा निगोद जीव अनंता पण पोते पोतानी मेले उ- प०भा० पजता कह्या बे, ते माटे ए चार विगय जे जे, ते सर्वथा अन्नदय वर्जनीय कही . ए त्रीश || निविगर्नु उतुं कार पूर्ण थयु. उत्तर बोल 70 थया // 41 // हवे पच्चरकाणना बेनांगानुं सात, हार कहे . पञ्चरकाणना बे नेदे बे, एक मूलगुणरूप अने बीजुं उत्तर गुणरूप तिहां साधुने मूलगुण ते | पांच महावत अने उत्तरगुण ते पिंझ विशुद्धयादिक जाणवां, तथा श्रावकने मूलगुण ते पांच अ-| णुवत अने उत्तरगुण ते त्रण गुणवत अने चार शिक्षाबत जाणवां, तिहां सर्व पच्चरकाणादिक तेहना नांगा जे रीते थाय, ते रोते कहे बे.. तेमां सर्व उत्तरगुण पच्चरकाण अनागतादिक दश प्रकारे पूर्वे कयां, अने देशोत्तर गुण पच्चकाण सात प्रकारे-ते त्रण गुणवत अने चार शिदावत मली थाय, तथा वली एक श्वर अने || FARMEReasarampaapamerame/eDame/REDESemon // 153 // Jan Education international For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org

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