________________ VarmonicodeG008G wawww/asavasaacsew/asarasveeeesavetsavetaavatsar ना खाधो रे नाइ खाधो ! केम के मूकता नथी. इत्यादिक कठिन वचन बोले, अथवा आ|| क्रोश गाढस्वरादिक गुरूने करावे. ते याशातना जाणवी, वली एकवीशमी गुर्वादिके बोलाव्यो थको त्यांथीज एटले पोताने ठेकाणे वेगे थकोज उत्तर आपे, परंतु गुरूनी समोपे आवीने | जवाब न आपे तो आशातना थाय. बावीशमी वली गुर्वादिकें बोलाव्यो थको कहे के झुंडे ते ? तमें कहो. कोण कहेवरावे ले ? शुं कहो बो ? इत्यादिक विनयहीन वचन बोले, ते आशातना जाणवी, तथा त्रैवीशमी वली गुर्वादिके बोलाव्यो थको कहे के तूंज का नथी करतो? एवी रीते पोताना पूज्यने एक वचनांत बोलावे अथवा कहे के तमे कोण थकामुजने प्रेरणा करो बो ? || इत्यादिक वचन कहे ते आशातना जाणवी. चोवीशमी गुर्वादिक तथा रत्नाधिक शिष्यने कहे के तमें समर्थ बो, पर्याये लघु बो, माटे वृद्धन तथा ग्लान- वैयावच्च करो तवारे ते पाडो जवाब आपे के जो तमेज लान जाणो दो, तो तमे पोते केम नथी करता ? तथा तमारो बीजो पण || शिष्यादिकनो बहु परिवार ने ते शुं लाननो अर्थी नथी ? तो तेमनी पासे करावो. तेवारे वली BaraeatingAAVe/08/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelyg