Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai
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________________ प०भा० // 142 amavarawRMIRAHMENaDemanawa/ARVARANAMAN तेमां तब्यु होय तेने घृतमां तले पक्वान्न कहीये. तलियं शब्द बे स्थानके जोमवो. ए रीते धना पांच, घृतना चार, दहींना चार, तेलना चार, गोखना बे अने पक्कानना बे, मली एकवीश नेद नक्ष्य विगयना कह्या. ए विगयना नामर्नु पांच, दार पूर्ण ययु. उत्तर बोख पच्चास थया॥ हवे ए नदय विगयना निवीयाता त्रीश कराय जे तेना नेदोनुं हुं धार कहे . पयसाडि-पयसाडी | अवलेहि-अवलेहिका / विगइगया-निवीमाता / अप्पतंदुल-अल्पतंदुल खोर-खीर दुखटि-दुखो दख्ख-द्राख तच्चुन-चोखानो आटो पेया-पेया दुख-दुग्धना / बहु-घणा | अविलसहिअ-खटास सहित पयसाडि खीर पेया, वलेहि दुद्धट्टि दुद्ध विगइगया // दख्ख बहु अप्प तंदुल, तच्चुन्नं बिलसहिअ दुद्धे // 32 // शब्दार्थ-द्राख नाखीने राधेलं दूध पयसाडि, बहु चोखा नाखीने रांधेलु दक्ष खीर, थोडा चोखा नांखीने रांधेलं Ramayawwwevanayampeares/maavanaaves/namam // 14 For Personal Private Use Only www.janelibrary.org sain Toucation international

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