Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

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Page 309
________________ विगइगयासंसठ्ठा, उत्तम दवाइ निविगइयंमि // कारणजायं मुत्तुं, कप्पंति न भुत्तुं जं वुत्तं // 39 // Varue/amsenawativemahawa/scom/ a शब्दार्थ-विगइथी उत्पन्न थयेला, संसृष्ट अने उत्तम द्रव्यादिव. नीवीना पचरुखाणमां कारणने मूकीने खावू न कल्पे | अर्थात् कारणे खवाय. कारण कयुं छे के. // 39 // विस्तारार्थः-एक विकृतिगता एटले दूध प्रमुख विगश्थी उत्पन्न थया जे नीवीयाता जे | संख्याये त्रीश पूर्वे कह्या जे ते. बीजा संसृष्ट द्रव्य जे करंवादिक, मगदल, पापमी पिंमादिक, त्रीजा उत्तर द्रव्यादिक ते तिलसांकली, साकर, मेवादिक सरसोत्तम अव्य जे पूर्वे कही आव्या ते ए त्रण प्रकारनी वस्तु ते नीवीना पच्चरकाणने विषे कोई कारणजातं एटले पुष्टालंबन विशेष प्रयोजनरूप वातादिक कारण मूकीने, साधुने नोगववं लेवू नहीं कल्पे. जेने जावजी सुधी विगयनां पच्चरकाण होय, किंवा तथाविध विशेष तपे उजमाल होय, किंवा वैयावच्च करवाने V AAMVAANIVERem For Personal Private Use Only Sain toucation international

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