Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai

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Page 303
________________ withwestore/ a MANDIDOGVAg rouVATERVelvetom/AV/And विस्तारार्थः-मुग्ध अने दधिमांदे कूर प्रमुख नांखोये एटले दूध दही मिश्रित कुरादिक | होय, ते जो पूध तथा दही कुरथी चार अंगुल उपर चमे तेने संसृष्ट अव्य कहीये, ते नीवियातुं | नीवोमां कल्पे एटले नात रोटी उपर दूध, दही, चार अंगुल प्रमाण उंचुं चम्युं होय, तो नीवीप्रमुख मांहे साधुने कल्पे अने चार अंगुलथी अधिक पांच श्रादिक अंगुलना प्रारंलथी | जेवारे उंचु चमे, तेवारे ते विग जाणवू. माटे ते न कल्पे. ___अने अव्यगोल एटले ढीलो नरम गोळ अने घृत तथा तेल ए त्रणे ज्यां सुधी नक्त जे जात अथवा रोटी ते उपरे एक अंगुल प्रमाण उंचां चढ्यां होय त्यां सुधी संसृष्ट प्रव्य कहेवाय, एटले नीवियातुं कहेवाय, ते लेवं कल्पे अने बीजा अंगुलथोप्रारंनीनेचा चमता देखाय, तेवारे विकृत अव्य एटले विगयऽव्य जाणवां, ते लेवां करपे नहीं.. पिंगोल एटले काग गोल साये मसयु जे चूरमुं प्रमुख तेमांहे आस्त्रिक |एटले शण पोलूना महोर ते समान नहाना कणीयाना जेवा प्रमाण वाला एवा गोलना बहु AREERRO/map/samaavatmeVARAVasa Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jame by dig


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