Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam
Author(s): Balabhai kakalbhai
Publisher: Balabhai kakalbhai
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________________ Com 1133 // जाणवामां आवे तेवारे पूर्वनी पेठे अर्को जम्यो थको होय तो पण पचरूखाण पर्ण थाय विहां सुधी एमज बेशी रहे, अने काल पूरो थया पडी जमे // 24 // साह वयण-साधुन वचन / मुथ्थया-स्वस्थता . | संघाइकज-संघादिक कार्य। चंदाइ-बंदिवानादिक उग्घाडा पोरिसि-उग्घाडपोरिसि समाहि-समाधि महत्तर-महत्तरागार | सागारि-सागारिागारेणं तणु-शरीर / इति-एम गिहथ्य-गृहस्थ 98880000000001950/8/9wANGANAMBABA 80PDADAauooDaditaasARDSe/5G साहुवयण उग्घाडा, पोरिसितणु सुथ्थया समाहित्ति // संघाइकज्ज महत्तर, गिहथ्थ बंदाइ सागारी॥२५॥ शब्दार्थ-(५) साहुक्यणेगं एटले उग्वाड पोरिसि एवं साधुनुं वचन सांभळीने पञ्चख्खाग पारतां. (6) सब समाहिवत्ति आगारेणं एटले शरीरनी स्वस्थता साचवा निमित्ते. (7) मह तरागार रटडे संघादिकना कार्यमां बडेरानी आज्ञा पाळता. (8) सागारि आगारेणं एटले गृहस्थनी तथा बंदिवानादिकनी नजर पडतं. // 25 // sinin Education national For Personal & Private Use Only www.janeiro

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