________________ awaravasaetaavasavinderatio/06801atanentative शब्दार्थ-ए प्रमाणे वांदणानी विधिने करता चरण सित्तरी अने करण सित्तरीए सहित एवा साधु भो अनेक भवमां मेलबेला अनंता कर्मने खपावे छे // 40 // विस्तारार्थः-ए पूर्वे कही श्राव्या जे बोल, तेणे करी कृतिकर्म जे वांदणां, तेनो जे विधि || जे व्यवहार ते प्रत्यें प्रयुंजतां थकां चरणसित्तरी अने करणसित्तरी तेना गुणे करी आयुक्त एटले | सहित एवा जे साधु निग्रंथ चारित्रीया ते अनेक नवनां संचित एटले कोटि जन्मनां उपार्जन करेलां अने जेनो दुरंत विपाक डे एटले अनंता काल पर्यंत नोगवाय एवां अबेहपणे रहेनारां जे कर्म अथवा अनंत कालनां उपार्जन करेलां एवांजे कर्म ले ते कर्मोप्रत्यें तुरत शिघ्रपणे केपवी निराकरण करे बे, अर्थात् क्ष्य पमामे // 4 // अप्पमइ-अल्पमति | विवरियं-विपरीतपणे मए-महाराथी गीयथ्या-गीतार्थ भव्य-भव्यपाणी च-बली बोहथ्य-बोधनेअर्थे - -जे तं-ते अणभिनिवेसि-अकदाग्रही भासियं-भाख्यु | सोहंतु-शोधजो अमच्छरिणो-मच्छररहित PAPERVatadantertavetineertismeeMPARVeeravinavianawan Jain Education international wwwneby og For Personal & Private Use Only