________________ Wardevanawatmavatavanemap/eenaDIAsaratientistice जिनबिंपनी सेवना करी आमंत्रण करवू ते सफल थाप छे तेम. // 30 // विस्तारार्थः-हवे स्थापना शा कारण मात्रै स्थापती ? ते कहे . जेवारें सादात् गुणवंत गुरुनो विरह एटले अन्नाव होय, तेवारें गुरूपदेशोपदर्शनने अर्ये एटले गुरुनो उपदेश देखामत्राने माटें स्थापना स्थापवी जोश्य हां नावार्थ ए जे जे. स्थापनानी आगल क्रिया करता ते एवं जाणे जे गुरुज मुझने आदेश थापे , ते महारे श्लाकारि कही प्रमाण करवू. केम के, गुरुना अनावे जे धर्मानुष्ठान करवं, ते शून्यन्नाव गणाय. हवे दृष्टांत कहे जे. जेम हमणां श्रीजिनेश्वरनो विरह बतां श्री तीर्थकरना बिंब एटले प्रतिमानुं सेवन करीने आमंत्रण कर. जे हे नगवंत! तमे मुजने संसार समुज्थकी तारो, मोक आपो इत्यादिक जे कहे, तेसफल थाय जे. ए ह शहां पण श्रीगुरुना विरहें. गुरुनी स्थापना पण सफल होय . ए गुरुस्थापनाना एकज बोलनुं पन्नरमुंहार थयु. उत्तर बोल १५ए थया // 30 // हवे बे प्रकारना अवग्रहर्नु शोलम छार कहे . Amai/emVita/paratisemVARGVEDANEVOncentiment inin Education international For Personal & Private Use Only www.janeiro