Book Title: Bramhavilas Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay View full book textPage 7
________________ P DORAMPROPRADAWASOORappropean r ३.६.A. श्रीवीतरागाय नमः स्वर्गीय कविवर भैया भगोतीदासकृतू ब्रह्माविलाखा. संधी मोती मा COOPEOPOROUDomadras nearअथ पुण्यपचीसिका. मङ्गलाचरण छप्पय. प्रथम प्रणमि अरहंत, बहुरि श्रीसिद्ध नमिज्जै । आचारज उपझाय, तासु पद वंदन किजै ।। साधु सकल गुणवंत, शान्तमुद्रा लखि वंदों। श्रावक प्रतिमा धरन, चरन नमि पापनिकंदों॥ सम्यकवंत स्वभाव धर, जीवजगतमहिं होहि जित । तिततित त्रिकाल वंदित भाविक भावसहित शिरनाय नित॥१॥ श्रीजिनेन्द्रस्तुति छप्पय. मोहकर्म जिहँ हस्यो, कयो रागादिक नष्टित । द्वेप सवै परिहस्यो, जागि क्रोधहिं किय मिष्टित ॥ मानमूढ़ता हरिय, दरिय माया दुखदायिन । लोभ लहरगति गरिय, खरिय प्रगटी जु रसायिन ॥ केवल पद अवलंवि हुव, भवसमुद्रतारनतरन । त्रयकाल चरन वंदत भविक जयजिनंद तुह पर्यशरन ॥२॥ १ तुम्हारे. २ पद. FORPIONORMpperpepeopppppamopoon asranasahasranamapercompesapanoramapanaanapdoopanpepaprenewabar eovoooooooopeGaoretoprooooooo - -Page Navigation
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