Book Title: Bina Nayan ki Bat Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 5
________________ उनके लिए सहज कर्म है। उनका साहित्य ज्ञान-पिपासुओं की तृप्ति का उत्स बन चुका है। ___'बिना नयन की बात' श्रीमद् राजचन्द्र की अन्तरचेतना का अनावरण/ उद्घाटन है। यह पुस्तक एक नवचिंतन, स्फूर्त चेतना, जाग्रत दृष्टि और तीव्र आध्यात्मिक रुझान विकसित करने में सक्षम है। धर्म अब बुढ़ापे में समय व्यतीत करने का साधन मात्र न रहकर, नवक्षितिज का स्पर्श करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। - विजयलक्ष्मी (iv) For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.orgPage Navigation
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