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भिषमसिद्धि कुवरीधा १ भाग, मरमो का तेल ४ भाग, जल ८ भाग । तैल पाक विधि में पका ले । उनका अन्यंग विचिका में सिद्ध योग है।
दद में लेप-चक्रमादि लेप-मई का वीज, कासमद वीज या नृल, तुलसी पत्र, वायविडंग, कृठ, हरिद्रा, हरीतकी, श्वेत सरमो, महजन की हाला , गाल को गोद और क्पूर मम मात्रा में लेकर काजी में पीसकर गोली नावे । नीबू के रस के नाथ गोली को लगावे । प्राचीन ग्रन्थो में चक्रमर्द बीज का दाद में बहुत उपयोग पाया जाता है-इसका दूसरा नाम ही दद्रुघ्न बतलाया गया है।
दन्नबटी-पारसीकयवानी (बृरासानी अजवायन ), गन्धक, टंकण, राल एवं पर समान भाग लेकर बाजी में पीस कर गोली बना ले। नीबू के रस में घिस कर दद्रुमण्डल पर लगावे । पामा में लेप--
रमादि लेप-पाग, जीरा (मफेद एवं काला दोनों), हल्दी, आमाल्दी, झाली मिर्च, सिन्दूर, गंधक और मनगिल मम भाग। प्रथम पारद एवं गंधक को
ज्जली बना ले पन्त्रात् अन्य द्रव्यो के महीन चूर्णों को मिलाकर भली प्रकार से एरल कर ले। इस चूर्ण को वृत में मिलाकर पूरे शरीर में यदि खुजली हो तो मारिम करे। पश्चात् सावुन से स्नान कर ले । घी के अभाव में नारिकेल तेल में भी मिलाकर लेप किया जा सकता है। यह एक पामा में व्यवहृत होने वाला उत्तम और मिड योग है। इसमें मूवी बोर गोली दोनो प्रकार की खुजली या वारिगो में लाभ होता है । तीन दिनों के उपयोग से खुजली दूर हो जाती है।' इस योग में यदि दवृष्न वीज का चूर्ण नी १ भाग मिला लिया जावे तो सभी प्रगर के कानुयुक्त त्वचा के रोगो में से दद्रु, विचिका प्रति रोगो में भी उत्तम लाभ देग जाता है।
गंधक दव-गधक १ भाग, चूने की कली १ भाग बार जल १६ भाग ।
सिध्म यासहंवा में लेप- अपामार्ग के स्वरस, गोमूत्र, मळे या मानी ये नाथ मूली के बीज को पीमवर लेप करना, २. हन्दी को केले के रस से भिगो पर एक मकान तरकटने , फिर उभे केले के रस में पीने और लेप करे । ३ भनाई वीज, मूला के बीज, गवत, यवक्षार, इन द्रव्यों को चूर्ण करके कड़वे
१. महिनीरद्रिनिगामरीत्रसिन्दूरदत्येन्द्रमनःगिलानाम् ।
चीकृताना तमिबिताना प्रिनिः प्रलेपैरपयाति पामा । (वै. जी.)