Book Title: Bhaktamar Stotra Author(s): Hiralal Jain Publisher: Shastra Swadhya Mala View full book textPage 8
________________ (५) इस प्रकाशन में स्तोत्र का संस्कृत छन्द, उसका अर्थ, पं० . हेमराज कृत भाषानुवाद, ऋद्धि-मंत्र तथा अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत हैं। प्रत्येक श्लोक के ऊपर उसका महत्त्व (उपयोग) भी लिख दिया गया है। भिन्न-भिन्न प्रान्तों में भिन्न-भिन्न कवियों के हिन्दी भक्तामर रुचिकर एवं प्रचलित होने से इसमें भी ४ अनुवाद दिये गये हैं । फिर मंत्र की दृष्टि से प्रत्येक श्लोक सम्बन्धी साधना विधि तथा अन्त में सभी ४८ श्लोकों के यंत्र भी दिये हुये हैं। इस प्रकार इस प्रकाशन में श्री भक्तामरजी के नित्यपाठ, जाप तथा अखंडपाठ सभी के लिये सब प्रकार की सामग्री विद्यमान है। इसके दो संस्करण पहले निकल चुके हैं। उनका सम्पादन समाज के प्रसिद्ध लेखक माननीय पं० अजितकुमार जी शास्त्री, सम्पादक "जैनगजट" देहली द्वारा हआ था। उनको लोगों ने बहत पसन्द किया । उनके असामयिक निधन से हमारे इन सभी प्रकाशनों को बड़ी क्षति पहुंची है। प्रस्तुत संस्करण - प्रसन्नता की बात है कि मेरे आग्रह पर इस तीसरे संस्करण का कार्य समाज के सुप्रतिष्ठित विद्वान् श्रीमान् पं० हीरालाल जी जैन 'कौशल' अध्यक्ष, जैन विद्वत्समिति, देहली ने संभाला है । आपने इसमें कुछ परिवर्तन और परिवर्द्धन के साथ ही पर्याप्त समय लगाकर तथा कई लिखी व छपी प्रतियों से मिलान कर इसका पुनः सम्पादन भी किया है । इसके लिए मैं आपका विशेष आभारी हूँ । ___ आशा है कि यह प्रकाशन भी सभी को रुचिकर होगा तथा लोग इससे पूर्ण लाभ उठायेंगे। सम्भव है इसमें कुछ कमियाँ रह गई हों। ज्ञानीजन कृपया हमें उनकी सूचना दें तथा इस विषय में उपयोगी सुझाव और जानकारी भेजें जिससे आगामी संस्करण में उनसे लाभ उठाया जा सके। श्रीकृष्ण जैन, प्रकाशकPage Navigation
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